मंडी सचिव पर लगे आरोप निकले सही, जांच में पाया दोषी,लोकायुक्त को हुई थी शिकायत, आगामी कार्रवाई के लिए जा चुका है पत्र
उज्जैन. कृषि उपज मंडी समिति बडऩगर के सचिव पर वित्तीय व प्रशासनिक अनियमिताओं की शिकायत लोकायुक्त व विभाग को हुई थी। इसकी जांच समिति द्वारा करवाई गई, लेकिन जांच प्रतिवेदन में भी खांमी पाई गई। इन्हीं खांमी को दूर करने के लिए जांच प्रतिवदेन का परीक्षण भी विभाग द्वारा कर लिया गया। आंचलिक उपसंचालक द्वारा विभाग के भेज गए पत्र में ८ बिंदुओं का निष्कर्ष निकला गया है। इसमें अधिकांश प्रकरण में समिति सचिव को दोषी पाया गया। इस पत्र की कॉपी कलेक्टर कार्यालय को भी आगामी कार्रवाई के लिए भेजी गई है।
जानकारी के अनुसार मंडी सचिव हरगोविंद सोनगरा के खिलाफ लोकायुक्त को शिकायत हुई। इस शिकायत की जांच तत्कालीन संयुक्त संचालक को सौपी गई। इन्होंने जांच कर प्रतिवेदन सौंप दिया। इसके बाद आंचालिक संचालक को अभिमत, निष्कर्ष के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के साथ प्रतिवेदन मांगा था। यह प्रतिवेदन भी प्रस्तुत हुआ है। इसमें सचिव को कई मामलों में दोषि पाया गया है। बता दे कि आरोपों के बाद सचिव को बडऩगर से उज्जैन भेज दिया गया था।
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यह है आरोप
- मंडी परिसर में केंटिन तीन वर्ष पूर्व नीलाम हुई। उसके बिना नीलाम किए केंटिन संचालित करवाई। इससे मंडी को आर्थिक हानि हुई। इस प्रकरण में सचिव को दोषी पाया गया है।
- फर्म आदेश्वर ट्रेडर्स द्वारा १० लाख से अधिक की उपज क्रय की गई। बिना कृषक भुगतान निकासी कर अवैध लाभ अर्जित किया। सामूहिक प्रतिभूमि से १६.९१ लाख प्राप्त कर किसानों को भुगतान किया। इस प्रकरण में सचिव को जांच में दोषी पाया गया है।
- दो व्यापारियों को न्यायालय के स्थगन के आधार पर गोदाम देने की बात है, लेकिन जांच के दौरान उक्त प्रकरण से संंबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो सकें।
- बिना अनुज्ञा पत्र के डालर चने की निकासी के विरुद्ध कर्मचारी को निलंबित किया गया। जबकि मंडी अधिनियम के अनुसार व्यापारी पर कार्रवाई अनुपलब्ध है। इस प्रकरण में सचिव दोषी है।
- कृषक भुगतान पत्र ९० रूपए में छपवाया। जबकि रतलाम में ५० से ५५ रूपए में छपा। इस प्रकरण में सचिव को राहत मिली। इसके पीछे प्रक्रिया का पालन होने के साथ दो अन्य जिलों की दर में प्रतिस्पर्धा नहीं की जा सकती है।