शिकायत के बाद विवि प्रशासन ने शुरू की जांच
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय की पीएचडी की डिग्री पर वैधता का संकट खड़ा हो गया है। दरअसल विक्रम विवि में कुछ अपात्र प्रोफेसरों ने शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। अब इन लोगों के अधीन पीएचडी करने वाले लोगों की डिग्री की शिकायत हुई। विवि ने इसकी जांच भी शुरू कर दी है। अगर जांच में कोई रास्ता नहीं शिकायत सही पाई गई। तो डिग्री निरस्त होगी।
रूकेगी अरूण पाण्डे के अधीन पीएचडी
विक्रम विवि प्रशासन ने शिक्षा महाविद्यालय के प्रोफेसर अरूण पाण्डे (जांच में अपात्र प्रोफेसर निकले। इन्हें हटाया गया) के अधीन जारी पीएचडी पाठ्यक्रम की आगामी कार्रवाई को रोक सकता है। अरूण पाण्डे वर्ष २०१७ में पीएचडी गाइड से हट गए। इसके बावजूद वह नियम विरुद्ध पीएचडी करवाते रहे। उन्होंने आनन-फानन में चार पीएचडी थिसिस जमा करवाई। जो अब रोकी जा सकती है।
अन्य शिक्षकों की पात्रता की जांच
विवि प्रशासन ने अरूण पाण्डे प्रकरण से सबक लेकर अन्य पीएचडी निदेशकों की जांच शुरू की। जानकारी के अनुसार वरिष्ठता सूची में कुछ अन्य नाम भी अपात्र पाए जाने की संभावना है। बता दे कि जिन लोगों के वर्ष २०१७ में नाम हटाए गए। नियमानुसार उन लोगों के अधीन जो शोधार्थी है। उन सहनिदेशक बनाना जरूरी है।
इनका कहना है।
फर्जी पीएचडी के संबंध में शिकायत मिली है। शिकायत पर कार्रवाई के निर्देश दिए है।
डीके बग्गा, कुलसचिव विक्रम विवि।