सेल्फ फायनेंस है डिपार्टमेंट : छात्रों की संख्या 387, वित्तीय अनियमिता पर अधिकारियों का ध्यान नहीं
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान एसओइटी में वर्क लोड से ज्यादा अतिथि शिक्षक होने से वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। डिपाटमेंट में कुल ३५४ विद्यार्थी है। इन लोगों के अध्यापन कार्य के लिए करीब १४ शिक्षकों की जरूतर है, लेकिन विवि प्रशासन ने अभी तक २४ शिक्षकों को पदस्थ कर रखा है। बता दे कि विभाग में पहले एक हजार विद्यार्थी थे। पूर्व में उक्त अनुपात में शिक्षक थे, लेकिन लगातार छात्रों की संख्या घटती चली गई, लेकिन विवि प्रशासन ने शिक्षकों के भार को कम नहीं किया।
सेल्फ फायनेंस विभाग है एसओईटी
विक्रम विवि का इंजीनियरिंग संस्थान एसओईटी सेल्फ फायनेंस कोर्स है। यहां पर एक भी स्वीकृत पद नहीं नहीं है। छात्रों की संख्या के अनुसार ही हर सत्र में शिक्षकों का समायोजन किया जाना चाहिए।
वर्क लोड पर छह माह से विवाद
छात्रों की संख्या घटने के बाद विभाग में एकाएक वर्क लोड घट गया। वहीं शिक्षकों ने सप्ताह में छह दिन और वर्ष भर काम दिए जाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसे लेकर पिछले छह माह से विवाद मचा हुआ है। बता दे कि अतिथि शिक्षकों और डायरेक्टर उमेश सिंह के बीच विवाद भी वर्क लोड बढ़ाने को लेकर हुआ। जो मामला यौन शोषण और व्यक्तिगत आरोपों तक पहुंच गया।
लगातार कर रहे थे शिकायत
एसओइटी में पदस्थ अतिथि शिक्षक और डायरेक्टर उमेश सिंह के बीच विवाद कोई नया नहीं है। पिछले तीन साल से यह विवाद जारी है। पहले अतिथि शिक्षकों ने डॉ. सुधीर कुमार जैन पर भी अभद्रता के आरोप लगाए। इस मामले में भी दम नहीं निकला। इसके बाद विभाग की समस्या को लेकर आंदोलन शुरू हुए। इसके बाद उमेश सिंह को हटाकर डॉ. एमएस परिहार को चार्ज दे दिया गया। यह व्यवस्था एक वर्ष तक रही और फिर उमेश सिंह लौट कर आ गए। उमेश सिंह के वापस आने के बाद विभाग में फिर गुटबाजी शुरू हो गई। हालांकि उक्त गुटबाजी में एक हजार की छात्र संख्या 387 तक पहुंच गई है। अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं किया गया। तो यह संख्या 0 तक पहुंच जाएगी।
गलत तरीके से 1500 का भुगतान
विवि प्रशासन ने कार्यपरिषद में उच्च शिक्षा विभाग का नवीन वेतनमान अंगीकृत किया। इसके अनुसार स्वीकृत पर कार्यकर रहे लोगों को प्रतिदिन 1500 रूपए के मान से भुगतान किया जाना है, लेकिन विवि प्रशासन ने एसओईटी के अतिथि शिक्षकों को भी उक्त मानदेय दे दिया। जो नियमों के विरुद्व है। बता दे कि कम्प्यूटर साइंस सहित कुछ विभाग ने यह वेतनमान देने से इनकार भी किया था, लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी।