फर्जी प्रोफेसर का नया खेल... अब आरटीआई नियमों का बन गया मास्टर 

सार्वजनिक दस्तावेजों को प्रमाणित करने से किया इनकार, व्यक्तिगत जानकारी के नियमों का दिया हवाला



उज्जैन. शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में पदस्थ शिक्षक अरूण प्रकाश पाण्डे (फर्जी प्रोफेसर) अब सूचना के अधिकार (rti )  नियमों का माखौल उड़ा रहे है। महाविद्यालय के प्राचार्य होने के नाते उनके पास लोकसूचना अधिकारी की जिम्मेदारी है। ऐसे में अरूण पाण्डे के प्रोफेसर संबंधी दस्तावेजों (जो विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किए गए) की प्रमाणित प्रति पाने के लिए आरटीआई के तहत आवेदन किया गया। तो उन्होंने व्यक्तिगत जानकारी होने का हवाला देकर मामले से पल्ला झाड़ लिया। जबकि उक्त आवेदन विक्रम विवि (vikram university ) प्रशासन ने सूचना के अधिकार के तहत दे दिया।


फर्जी दस्तावेजों से बने प्रोफेसर 
विक्रम विवि प्रशासन संबंद्ध महाविद्यालय में पदस्थ प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक की वरिष्ठता सूची तैयार करता है। यह सूची यूजीसी के नियमों के तहत तैयार होती है। आरोप है कि स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त शिक्षा विभाग में पदस्थ अरूण प्रकाश पाण्डे ने गलत जानकारी के आधार पर यह लाभ ले लिया। इसके बाद करीब 10 साल तक लाभ लेते रहे। इनके खिलाफ जब भी आपत्ति लगती। तो वह ऊंचे रसूक से खुद को बचा लेते, लेकिन 2020 की वरिष्ठता सूची में आपत्ति लगी और इन्हें बाहर कर दिया गया। 
छोटे भाई  पूर्व कुलपति 
अरूण प्रकाश पाण्डे के छोटे भाई एसएस पाण्डे विक्रम विवि के पूर्व कुलपति रहे। इस दौरान शिक्षा महाविद्यालय के संबंद्धता निरीक्षण, धारा २८ कोड की नियुक्ति, परीक्षा कमेटी, प्रायोगिक के तौर पर शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षा संकाय का अध्ययन बोर्ड अध्यक्ष सभी जगह अरूण प्रकाश का जलावा था। साथ ही कुलपति के बड़े भाई होने के नाते इनके मौखिक निर्देशों का भी निजी महाविद्यालय उल्लंघन नहीं कर पाते थे। 
पीएचडी भी करवा डाली 
गलत तरीके से प्रोफेसर की सूची में स्थान पाने के बाद अरूण प्रकाश पाण्डे पीएचडी गाइड भी बन गए। इस दौरान उन्होंने करीब एक दर्जन से ज्यादा लोगों को पीएचडी भी करवा दी। 
इनका कहना है। 
वरिष्ठता सूची और पीएचडी गाइड से इन्हें हटा दिया गया है। अब प्रकरण के जिम्मेदारों पर कार्रवाई के लिए कुलपति को शिकायत कर दी है। अब स्कूली शिक्षा विभाग को भी शिकायत की जाएगी। 


भरत शर्मा


इनका कहना है। 
अरूण प्रकाश पाण्डे के खिलाफ गलत तथ्यों के आधार पर प्रोफेसर सूची में शामिल होने संबंधी आपित्त 
आई थी। इसकी जांच के बाद उन्हे हटा दिया। अब उक्त प्रकरण से संबंधित शिकायत आई। इस शिकायत पर कुलपति ने विभागीय टीप मांगी है। नियमों के अनुसार जांच प्रक्रिया जारी है। 
डीके बग्गा, कुलसचिव विक्रम विवि।