संकटकाल को अवसर बना करेंगे नए भारत का निर्माण: पं.पू. सरसंघचालक मोहन जी भागवत

सेवा कार्य के बाद शुरु होगा समाज को दिशा देने का का
उज्जैन। देश में जारी कोरोना वायरस की महामारी के दौर में रविवार शाम पांच बजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पं.पू. सरसंघचालक मोहन जी भागवत का बौद्धिक प्रसारित हुआ। इसका विषय "वर्तमान परिदृश्य और हमारी भूमिका" था। इस सत्र में उन्होंने स्वयंसेवकों को कोरोना से डरने की जगह सावधानीपूर्वक सेवा कार्य में जुटे रहने की बात कहीं। मदद से कोई भी व्यक्ति छुटे नहीं और जिसे जरुरत है उसे ही मदद मिलें। उन्होंने कहा कि कोरोना बीमारी नई हैं, इसके उपचार अभी नहीं हैं। इसका एक मात्र बचाव घर के अंदर खुद को बंद रखना हैं, इसलिए घर में रहकर जो कार्य किए जा सकते हैं, उन्हें ही करने की जरुरत हैं। बाहर निकल कर भी सेवा कार्य करें, लेकिन उसके लिए भी नागरिक अनुशासन जरुरी हैं। जब आप खुद स्वस्थ्य और सुरक्षित रहेंगे तभी देशहित के कार्य के साथ दूसरों की चिंता कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जून तक सभी संघ कार्य बंद है, तो नए कार्य के रुप में सेवा कार्य सामने हैं। हमे पूरी तत्परता से उक्त कार्य को स्नेह, प्रेम, सद्भावना, भयमुक्त और क्रोध से खुद को बचाकर करना हैं। 
*किसी एक समूह के गलत करने से पूरे समाज से दूरी बनाना ग़लत है।*
जब लाॅकडाउन खत्म होगा तो हमारी जिम्मेदारी समाज को दिशा देने की होगी, ताकि यह बीमारी फिर सामने नहीं खड़ी हो। इस दौरान सामाजिक दूरी सहित अन्य निर्देशों का कैसे पालन हो सकता यह विचार करना होगा और अमल में लाना होगा। यह संकटकाल को भविष्य में भारत के नए निर्माण का माध्यम भी बनाना हैं। अभी सभी कार्य ठप हैं, जब यह चीजे शुरु होगी तो सभी को रोजगार मिलें इसके लिए स्वलंबन, स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण और संस्कार प्रदान करने वाली शिक्षा देने की नीति बनाने का काम भी करना होगा। इसके लिए सरकार  व प्रशासन कार्य करेंगे, लेकिन समाज के सहयोग के बिना यह कार्य संभव नहीं है।  


*सेवा कार्यो में सांतत्य की आवश्यकता है।*
भारतीय संस्कृति ऐसी है कि संकटकाल में हमने नुकसान उठाकर भी अन्य देशों को मदद की। सेवा कार्य में लगे स्वयंसेवकों को पहले खुद समाज के सामने अच्छा उदाहरण बनाना होगा। फिर दुनियां को अच्छा  बनाने के लिए काम करता हैं। *सेवा कार्य इस सोच से करना है कि समाज और देश अपना हैं।*  समाज को प्रेरणा मिलें। इसके लिए प्रचार भी जरुरी है, लेकिन कार्य का श्रेय दूसरों को देने की प्रवृत्ति अपनाएं। बौद्धिक सत्र में अमेरिका की पुस्तक "सफलता और असफलता" का अंतर तीन फीट का सारांश बताते हुए सफलता मिलने तक अंतिम प्रयास करना हैं। उन्होंने कहा कि सेवा कार्य करते  समय थकना नहीं हैं और डरना नहीं हैं। योजना बनाकर काम करने की जरुरत हैं। तभी कार्य यशस्वी होगा।
*भविष्य की योजना पर ध्यान* 
लाॅकडाउन खत्म होने के बाद भविष्य की योजना देशहित को ध्यान में रखकर तैयार हों। कुटुम्ब को संस्कारी शिक्षा प्रदान की जाएं। नागरिक अनुशासन पर जोर दिया जाए। राजनीतिज्ञ लोग स्वार्थ सिद्धी की जगह देशहित की सोच रखें। जैविक खेती और गो-पालन पर ध्यान देने की जरुरत। पर्यावरण काफी शुद्ध हुआ है, यह स्थिति अब खराब नहीं हो। आर्थिक नीति स्वालम्बन और स्वदेशी आधारित हो। बेहद ही अनिवार्य होने पर विदेशी चीजों का प्रयोग किया जाए। 
*साधुओं को श्रद्वांजलि*
महाराष्ट में जूना-अखाड़े के दो साधुओं की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी,इस घटना से पूरा देश दुखी है। इन साधुओं को 28 अप्रैल को श्रद्वांजलि दी जाएगी। इसी के साथ उन्होंने कहा कि कुछ लोग उक्त अवसर पर भारत तेरे टुकड़े होगे कि नीयत से राजनीति करेंगे और  गड़बड़ करने का काम करेंगे। ऐसे लोगों से हमे बचने की जरुरत हैं।
समीर चौधरी
विभाग प्रचार प्रमुख
(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)